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एक बार की बात है, राजा कुमेरसिंह के राज्य में भयंकर अकाल पड़ा। प्रजा की चिंता करते हुए राजा ने अपना सारा खजाना खोल दिया और दूसरे राज्यों से अनाज मँगवाकर लोगों की मदद की। इससे राजकोष पूरी तरह खाली हो गया। राजा और रानी भानूमती बहुत चिंतित हो गए।

इस समस्या का हल ढूंढने वे अपने कुलगुरु के आश्रम पहुँचे, जो जंगल में रहते थे। गुरु ने उनकी बात सुनकर एक विशेष चिड़िया उन्हें दी और कहा, “जब तक यह चिड़िया तुम्हारे पास रहेगी, तुम्हारा राज्य समृद्ध रहेगा। कोई भी महत्वपूर्ण फैसला लेने से पहले इससे सलाह अवश्य लेना। पर यह तुम्हारे अलावा किसी से नहीं बोलेगी।”

जाते-जाते गुरु ने एक और बात कही, “हे राजन, याद रखना, इस चिड़िया को हमेशा प्रसन्न रखना। अगर यह दुखी हुई, तो तुम्हारा सुख भी नहीं रहेगा।”

The sage gives the king a magical bird for his kingdom’s prosperity.

राजमहल में वापस आकर राजा हर बड़े फैसले से पहले चिड़िया से सलाह लेने लगा। चिड़िया के मार्गदर्शन से राज्य फिर से खुशहाल हो गया। राजा-रानी खुश तो थे, लेकिन राजा के मन में एक नया डर पैदा हो गया—कहीं यह चिड़िया किसी और के हाथ न लग जाए। इस डर के कारण उसने चिड़िया को एक सुनहरे पिंजरे में कैद कर दिया और रानी के महल में सुरक्षित रखवाया।

कुछ दिनों बाद रानी ने देखा कि चिड़िया बहुत उदास है और उसने खाना-पीना भी छोड़ दिया है। राजा ने जब उससे पूछा, तो वह पूरी तरह चुप हो गई। अब वह राज्य के किसी भी मामले में कोई सलाह नहीं देती थी।

The magical bird sits sadly in a golden cage, silent and weak.

हताश राजा चिड़िया को लेकर फिर गुरु के पास पहुँचा। गुरु ने समझाया, “राजन, इस छोटी-सी चिड़िया ने अपनी बुद्धि से तुम्हारे राज्य को संपन्न बना दिया, और तुमने इसकी सबसे बड़ी निधि—’आज़ादी’ छीन ली। तुम्हारा डर इसकी प्रतिभा को मार रहा है।”

राजा ने उत्तर दिया, “पर गुरुजी, मैं तो इसे दुश्मनों से बचाना चाहता था।”

गुरु मुस्कुराए, “नहीं राजन, तुम असल में इसे खोने के डर में जकड़े हुए थे। डर के मारे तुम सही निर्णय लेने की क्षमता खो बैठे।”

गुरु की बात सुनकर राजा की आँखें खुल गईं। उसने कहा, “अब मैं समझ गया हूँ। मैं अब किसी चिड़िया के भरोसे राज्य नहीं चलाऊँगा, बल्कि खुद जिम्मेदारी लूँगा और अपनी बुद्धि से फैसले लूँगा।”

ऐसा कहकर उसने चिड़िया को आज़ाद कर दिया और फिर से अपने राज्य का कुशल प्रबंधन करने लगा।

The king realizes his mistake, frees the bird, and vows to rule wisely with his own judgment.

शिक्षा: जीवन में बहुत अधिक चिंता और डर एक अदृश्य जंजीर की तरह है, जो हमारी उड़ान को रोक देती है। इससे मुक्त होकर ही हम आगे के रास्ते देख पाते हैं।