सर्वे भवन्तु सुखिनः,
सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु,
मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत्॥

अर्थ: प्रत्येक व्यक्ति का जीवन सुखमय हो, प्रत्येक का शरीर नीरोग रहे, सभी के नेत्र केवल मंगलमय दृश्य ही देखें और किसी को भी किसी प्रकार का दुःख न झेलना पड़े। यही पवित्र कामना हमें एक सुखी, समृद्ध और एकजुट समाज के निर्माण की प्रेरणा देती है।

असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मा अमृतं गमय॥

अर्थ: हमें असत्य के पथ को छोड़ सत्य के मार्ग पर, अंधकार को पीछे छोड़ प्रकाश की दिशा में, और मृत्यु के भय से परे अमरता के धाम की ओर अग्रसर करो। यह पंक्ति हमारे अंतर्मन में सद्मार्ग, ज्ञान और शाश्वतता की यात्रा का आह्वान करती है।

A verse inspiring the journey toward truth, light, and immortality.

नमन्ति फलिता वृक्षाः,
नमन्ति विबुधा नराः।
शुष्कं काष्ठं च मूर्खश्च,
न नमस्ति तृटन्ति च ॥

अर्थ: फलदार पेड़ झुक जाते हैं और ज्ञानी इंसान नम्र होता है। पर सूखी लकड़ी और मूर्ख आदमी कभी झुकते नहीं, बस अंत में टूट जाते हैं।

अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्।
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥

अर्थ: “यह मेरा है, वह तेरा है” – ऐसा संकीर्ण विचार तो छोटी बुद्धि वालों का होता है। जिनका हृदय विशाल होता है, उनके लिए तो यह सारा विश्व ही एक परिवार है; कोई पराया नहीं रह जाता।