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चिंकी बंदर जंगल में दिन-रात उछल-कूद करता रहता था, लेकिन उसे खाने की कमी का सामना करना पड़ता था, जिस वजह से वह हमेशा परेशान रहता था।
वह दिन भर सोया करता था। एक दिन उसकी पत्नी पिंकी बंदरिया ने कहा, “कुछ उपाय कीजिए, ताकि हमें पेट भर खाना मिल सके।”
चिंकी ने जवाब दिया, “मैं क्या करूँ? भोलू हाथी सारे केले खा जाता है। अगर मैं गलती से एक-दो केले ले भी लूँ, तो वह पेड़ हिलाकर मुझे नीचे गिरा देता है। पिछली बार मैंने बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाई थी।” चिंकी के एक छोटे बच्चे को भी खाने की चिंता सताती थी।

एक दिन चिंकी ने पिंकी से कहा, “मैं सोच रहा हूँ कि शहर चला जाऊँ। वहाँ खूब खाना मिलता है। अगर सब ठीक रहा, तो मैं तुम दोनों को भी ले जाऊँगा।”
अगले दिन चिंकी शहर पहुँच गया। वहाँ उसे अच्छा खाने को मिलने लगा। वह कभी किसी की छत से, तो कभी रास्तों से फल और खाने का सामान उठाकर भाग जाता।
एक दिन आराम करते हुए उसने एक जादूगर को जादू दिखाते देखा। लोग तालियाँ बजा रहे थे और जादूगर को पैसे दे रहे थे। चिंकी को यह विचार पसंद आया। उसने सोचा कि अगर वह भी जादू सीख ले, तो जानवर उसे खाना देंगे और उसे मेहनत नहीं करनी पड़ेगी।
धीरे-धीरे उसने जादू के करतब सीख लिए। एक रात, उसने जादूगर का कुछ सामान और टोपी चुरा ली और जंगल लौट आया। गाँव पहुँचकर उसने पिंकी से कहा, “ये टोपी और कपड़े मेरे हिसाब से ठीक कर दो, फिर देखना—हमें कभी खाने की कमी नहीं होगी।”
पिंकी ने कपड़े और टोपी छोटी कर दी। अगले दिन चिंकी ने सभी जानवरों को जादू दिखाने के लिए बुलाया। चिंकी ने डंडा लेकर जादू दिखाना शुरू किया। जानवर हैरान रह गए।

उसने एक मेज में छेद कर रखा था और उस पर फटा हुआ कपड़ा बिछाया था। चिंकी ने भोलू हाथी से कहा, “अपने केले रखो, मैं आधे गायब कर दूँगा।”
भोलू ने केले रखे। पिंकी मेज के नीचे छिपी बैठी थी। जैसे ही चिंकी ने कपड़ा ढँका, पिंकी ने आधे केले निकाल लिए। कपड़ा हटाते ही सबने देखा कि आधे केले गायब थे। सबने तालियाँ बजाई। चिंकी ने कहा, “अगर अपना खाना बचाना चाहते हो, तो रोज़ मुझे आधा खाना दिया करो।”
डरकर सभी जानवरों ने ऐसा ही किया। चिंकी, पिंकी और उनके बच्चे को मज़े से खाने को मिलने लगा। लेकिन जानवर दुखी थे। वे मुश्किल से खाना जुटाते, फिर भी आधा चिंकी को देते।
एक दिन शहर से मिट्ठू तोता लौटा, जो सरकस में काम करता था। जानवरों ने उसे सब कुछ बताया। मिट्ठू बोला, “वह तुम्हें बेवकूफ बना रहा है। जादू में खाना गायब नहीं होता, छिपाया जाता है। मैं उसकी पोल खोल दूँगा।”

भोलू गुस्से में चिंकी के पास पहुँचा और जादू दिखाने को कहा। अगले दिन सभी जानवर इकट्ठा हुए। भोलू ने फिर से केले गायब करने को कहा।
चिंकी ने कपड़ा ढँका, लेकिन मिट्ठू तोते ने झपट्टा मारकर कपड़ा उड़ा लिया। सबने देखा कि पिंकी मेज के नीचे बैठकर केले खा रही है।
सबको सच्चाई पता चल गई। भोलू ने चिंकी को सूँड से उठा लिया। चिंकी डर से काँपने लगा। भोलू ने कहा, “अब तुम दोनों को रोज़ सभी के लिए खाना इकट्ठा करना होगा, नहीं तो मैं तुम्हें कुचल दूँगा।”
चिंकी ने माफ़ी माँगी और अगले दिन से वह और पिंकी मिलकर सबके लिए खाना जुटाने लगे।
शिक्षा: चालाकी और धोखे से दूसरों का हक़ छीनना स्थायी समाधान नहीं है। ईमानदारी और मेहनत से कमाया गया फल ही सच्चा सुख देता है।

